मंगलवार, 22 जनवरी 2013



माइम ...


देखने में जितनी आसान लगती है न ?
लेकिन उसे करना उतना ही मुश्किल होता है,
सतत परिश्रम और अभ्यास से इसे साधा जा सकता है ।
फ्रांस के विश्व-विख्यात माइम कलाकार
"अतिनी दक्रू " ने कहा है-
"माइम कलाकार का शरीर एक कलाबाज़ (जिम्नास्ट) जैसा, दिमाग एक अभिनेता जैसा और हृदय एक कवि जैसा होना चाहिए।"
एकाग्रता,
कल्पनाशीलता,
त्वरित प्रतिक्रिया तथा वस्तुओं और क्रियाओं के बारीक अवलोकन से इस कला में निपुणता प्राप्त की जा सकती है।
संवादरहित होते हुए भी यह एक अत्यंत कारगर माध्यम हैं संवाद का !!..
माइम भाषा के बंधन से परे होता हैं 
इसलिए इसे किसी के भी सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।
इस भावप्रधान कला में  नवरसों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
अपनी शारीरिक मुद्राओं एवम हाव-भाव के माध्यम से
नवरसों को प्रदर्शित करना होता हैं , 
इसके लिए  शरीर को फुर्तीला बनाए रखने की जरुरत होती हैं 
बस कलाकार को उच्च कोटि का कल्पनाशील,
अच्छी याददाश्त,,,अच्छी सोच  
एवम तेज़ दिमाग वाला होना चाहिए,
ताकि वह स्थिति को भाँपकर तुरंत निर्णय कर सके।
अगर हम अपनी क्रियाओं का बारीकी से अवलोकन करें और निरंतर अभ्यास करें तो माइम करना आसान बन सकता है।
मेरे लिए "माइम"  एक  योग साधना हैं ..
अपने कमरे में जाकर ...आईने के सामने ...
तरह तरह की मुद्राए बनाना मुझे अच्छा लगता हैं  ...
मेरे लिए यह " तनाव " को कम करने का  आसान उपाय रहा हैं ...और बहुत कारगर भी हैं 
"इस कला के माध्यम से  हम अपने व्यक्तित्व को ,हम निखार सकते हैं ,
इसके लिए मैंने कुछ  पच्चीस मिनिट्स का "सन्डे प्रोग्राम " तयार किया हैं .........उसके बारे में फिर कभी 



माइम ...


देखने में जितनी आसान लगती है न ?
लेकिन उसे करना उतना ही मुश्किल होता है,
सतत परिश्रम और अभ्यास से इसे साधा जा सकता है ।
फ्रांस के विश्व-विख्यात माइम कलाकार
"अतिनी दक्रू " ने कहा है-
"माइम कलाकार का शरीर एक कलाबाज़ (जिम्नास्ट) जैसा, दिमाग एक अभिनेता जैसा और हृदय एक कवि जैसा होना चाहिए।"
एकाग्रता,
कल्पनाशीलता,
त्वरित प्रतिक्रिया तथा वस्तुओं और क्रियाओं के बारीक अवलोकन से इस कला में निपुणता प्राप्त की जा सकती है।
संवादरहित होते हुए भी यह एक अत्यंत कारगर माध्यम हैं संवाद का !!..
माइम भाषा के बंधन से परे होता हैं 
इसलिए इसे किसी के भी सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।
इस भावप्रधान कला में  नवरसों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
अपनी शारीरिक मुद्राओं एवम हाव-भाव के माध्यम से
नवरसों को प्रदर्शित करना होता हैं , 
इसके लिए  शरीर को फुर्तीला बनाए रखने की जरुरत होती हैं 
बस कलाकार को उच्च कोटि का कल्पनाशील,
अच्छी याददाश्त,,,अच्छी सोच  
एवम तेज़ दिमाग वाला होना चाहिए,
ताकि वह स्थिति को भाँपकर तुरंत निर्णय कर सके।
अगर हम अपनी क्रियाओं का बारीकी से अवलोकन करें और निरंतर अभ्यास करें तो माइम करना आसान बन सकता है।
मेरे लिए "माइम"  एक  योग साधना हैं ..
अपने कमरे में जाकर ...आईने के सामने ...
तरह तरह की मुद्राए बनाना मुझे अच्छा लगता हैं  ...
मेरे लिए यह " तनाव " को कम करने का  आसान उपाय रहा हैं ...और बहुत कारगर भी हैं 
"इस कला के माध्यम से  हम अपने व्यक्तित्व को ,हम निखार सकते हैं ,
इसके लिए मैंने कुछ  पच्चीस मिनिट्स का "सन्डे प्रोग्राम " तयार किया हैं .........उसके बारे में फिर कभी